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लेखनी कहानी -24-Jan-2022 बेवफा

भाग 2

आदी अपने मुकद्दर पर इतरा रहा था कि उसे मीना जैसी सुंदर , सदगुणी , बुद्धिमान पत्नी मिली थी । उधर मीना को तो ऐसा लग रहा था जैसे कि वह कोई सपना देख रही हो । आदी जैसा स्मार्ट , शिक्षित, सरकारी सेवक , मृदुभाषी लड़का उसका पति होगा , यह तो उसने सपने में भी नहीं सोचा था । मगर लगता है कि भगवान की मीना पर विशेष कृपा थी इसलिए उस दिन उसकी टक्कर आदी से करवा दी प्रभु ने जिसका परिणाम अब सामने है । 

दोनों शिमला , मनाली घूम कर आए । मीना ने तो अपने खेत और घर के सिवाय और कुछ देखा ही  नहीं था । इसलिए इन हसीन वादियों को देखकर वह अभिभूत हो गई । उसने आदी को बांहों में कस लिया । वह उस पर दिलोजान से निछावर हो गई । उसने उसे भगवान की तरह पूजना शुरू कर दिया । 

गांव में दोनों मस्ती के साथ रह रहे थे । आदी विद्यालय चला जाता तब पीछे से वह सारा काम कर लेती । खाली समय में वह आईने के सामने खड़ी होकर घंटों खुद को निहारती रहती थी । सुंदर तो वह पहले से ही थी लेकिन अब उसके चेहरे पर और निखार आ रहा था । जब व्यक्ति अंदर से खुश हो तो उसका रंग रूप और भी निखर जाता है । पहले वह मेकअप भी नहीं करती थी । अब हल्का हल्का मेकअप करने लगी थी । मेकअप के बाद वह अप्सरा सी लगती थी । 

आदी जब विद्यालय से आता था तब मीना बन संवर कर उसका दरवाजे पर इंतजार करती मिलती थी । आदी उसका रूप देखकर पागल हो उठता और फिर दोनों घंटे दो घंटे प्यार के सागर में गोता लगा लेते थे । दिन और रात का पता ही नहीं चलता था । उड़ रहे थे दोनों । पति-पत्नी कैसे रहते हैं , इसकी मिसाल बन गए थे वे गांव में । 

एक दिन आदी दसवीं बोर्ड की परीक्षाओं की कॉपी चैक कर रहा था । मीना उसके पास ही बैठी थी । वह आदी की चैक की हुई कॉपियां देख रही थी । एक कॉपी उठाकर उसने कहा " सुनो, इसका जोड़ ग़लत लग गया है शायद । नंबर तो 81 आये हैं मगर आपने 72 ही लिखे हैं" । 

आदी ने वह कॉपी ले ली । उसने सभी नंबरों का जोड़ दुबारा किया तो 81 ही आया । उसने एक बार जोड़ और किया फिर भी 81 ही आया । आदी ने मीना को धन्यवाद दिया कि उसके कारण किसी छात्र का भला हो गया था । मीना को भी अच्छा लगा था । 

खाली समय में मीना कॉपियां पढ़ने लगी । आदी ने किस प्रश्न में कितने नंबर दिए हैं , यह भी देखती । एक कॉपी पर उसकी निगाह अटक गई । एक प्रश्न का उत्तर किसी छात्र ने बहुत अच्छा लिखा था लेकिन आदी ने उसे औसतन 6 नंबर दिए थे जबकि उसे कम से कम नौ अंक मिलने चाहिए थे । 

आदी जब विद्यालय से घर आया और "प्यार का कोटा" पूरा करने से निवृत हुआ तब उसने उस प्रश्न और उसका उत्तर तथा उसमें दिए गए अंक का जिक्र छेड़ दिया । आदी ने कॉपी देखी । प्रश्न और उत्तर दोनों गौर से पढ़े तो उसे भी महसूस हुआ कि उसे कम से कम 8 अंक तो मिलने चाहिए थे । उसने संशोधन करके 6 से 8 अंक कर दिए । 

अचानक आदी के दिमाग में कुछ कौंधा । कहने लगा " मीना , एक बात कहूं , अगर मानो तो " 

"आपकी बात नहीं मानूं , ऐसा हो सकता है क्या ? आपकी हर बात मेरे लिए भगवान का आदेश है । बताइए क्या कहना चाहते हैं आप " ? 
"मुझे लगता है कि मेरे विद्यालय जाने के बाद तुम बोर होती हो । अगर तुम बी. एड. कर लो और बाद में अध्यापक की परीक्षा दे दो तो तुम भी अध्यापिका बन सकती हो" । 

मीना ने कहा "अब क्या करना है पढ़ लिख कर ? मुझे जो पाना था वह मैंने पा लिया । अब और कोई तमन्ना नहीं है" । 
"अरे पगली , जरा ये तो सोच कि अगर तू अध्यापिका बन गई तो एक तो तेरा मन लगा रहेगा विद्यालय में और दूसरा यह कि अपनी आय भी दोगुनी हो जाएगी । फिर हम अपने सपनों को पूरा कर सकेंगे" । 

मीना को भी बात जम गई थी । उसने हां कह दी । आदी ने उसका दाखिला बी एड कॉलेज में करवा दिया था । जब वह जा रही थी तो उसकी आंखों से झमाझम बरसात हो रही थी ।  वह कसकर आदी से लिपट गई । उसे छोड़कर जाने में उसकी जान निकली जा रही थी । आदी ने उसे समझाया कि यह जुदाई थोड़े दिन की ही है । फिर तो हम एक हो ही जाएंगे । मीना दुःखी मन से बी एड करने चली गई । 

मीना का आई क्यू बहुत अच्छा था । मेहनती भी थी । इसलिए बी एड कॉलेज में उसकी अलग ही पहचान बन गई । उसने कॉलेज टॉप किया था । कितने खुश हुए थे दोनों उस दिन । गजब का जश्न मनाया था दोनों ने । मीना ने खूब गीत सुनाए थे उस दिन । आदी को उस दिन पता चला कि मीना बहुत सुंदर गाती है । आदी को लिखने का शौक था । आदी गीत लिखता और मीना गाती । गजब की जुगलबंदी थी दोनों की । जैसे दोनों एक दूसरे के लिए ही बने थे । 

आदी मीना को अध्यापक वाली परीक्षा की तैयारी कराने लगा । वह खुद नोट्स तैयार करता । मीना को समझाता फिर उस विषय पर उससे प्रश्न पूछता । कभी कभी मीना खुद कह देती थी कि अब बस, मगर आदी अनुशासन प्रिय व्यक्ति था । समय को देखकर ही चलता था । आदी के सामने मीना की एक नहीं चलती थी । उसे झक मारकर पढ़ना पड़ता था । 

अध्यापक वाली परीक्षा भी हो गई । मीना के पेपर बहुत अच्छे हुए थे । आदी को पूर्ण विश्वास था कि दोनों की मेहनत का नतीजा अच्छा ही निकलेगा । 

एक दिन अध्यापक परीक्षा का परिणाम आ गया । मीना की अच्छी मैरिट बनी थी । प्रथम सौ में मीना का नाम था । उस दिन कितने खुश थे दोनों । रात भर सो नहीं पाए थे दोनों । जब मेहनत से मंजिल मिलती है तो उसका आनंद अलग ही होता है । 

मीना को एक जिला मुख्यालय के सीनीयर सैकेंडरी स्कूल में हिन्दी की अध्यापिका के पद पर सरकारी नौकरी मिल गई । आदी उसके साथ गया और रहने की समस्त व्यवस्थाएं करके लौटा । उसने भी अपने वरिष्ठ अधिकारियों को निवेदन किया कि उसका स्थानांतरण भी उसी विद्यालय में कर दे जिसमें मीना पदस्थापित है । उसकी बात मान ली और उसका स्थानांतरण उसी विद्यालय में कर दिया गया । अब दोनों फिर से एक हो गए थे । 
शेष अगले अंक में। 


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